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घृत कुमारी

घर पर उगाने के लिए ग्रीष्मकालीन जड़ी बूटियां (Summer herbs to grow at home in hindi)

घर पर उगाने के लिए ग्रीष्मकालीन जड़ी बूटियां (Summer herbs to grow at home in hindi)

दोस्तों, आज हम बात करेंगे जड़ी बूटियों के विषय में ऐसी जड़ी बूटियां जो ग्रीष्मकालीन में उगाई जाती है और इन जड़ी बूटियों से हम विभिन्न विभिन्न प्रकार से लाभ उठा सकते हैं। यह जड़ी बूटियों को हम अपने घर पर उगा सकते हैं, यह जड़ी बूटियां कौन-कौन सी हैं जिन्हें आप घर पर उगा सकते हैं, इसकी पूर्ण जानकारी प्राप्त करने के लिए हमारे इस पोस्ट के अंत तक जरूर बने रहें।

ग्रीष्मकालीन जड़ी बूटियां

पेड़ पौधे मानव जीवन के लिए एक वरदान है कुदरत का यह वरदान मानव जीवन के लिए बहुत ही महत्वपूर्ण है। विभिन्न प्रकार से यह पेड़-पौधे जड़ी बूटियां मानव शरीर और मानव जीवन काल को बेहतर बनाते हैं। पेड़ पौधे मानवी जीवन का एक महत्वपूर्ण चक्र है। विभिन्न प्रकार की ग्रीष्म कालीन जड़ी बूटियां  रोग निवारण करने के लिए इन जड़ी बूटियों का उपयोग किया जाता है। इन जड़ी-बूटियों के माध्यम से विभिन्न प्रकार की बीमारियां दूर होती है अतः या जड़ी बूटियां मानव जीवन का एक महत्वपूर्ण अंग है। यह ग्रीष्मकालीन जड़ी बूटियां, औषधि पौधे न केवल रोगों से निवारण अपितु विभिन्न प्रकार से आय का साधन भी बनाए रखते हैं। औषधीय पौधे शरीर को निरोग बनाए रखते हैं। विभिन्न प्रकार की औषधि जैसे तुलसी पीपल, और, बरगद तथा नीम आदि की पूजा-अर्चना भी की जाती है। 

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घर पर उगाने के लिए ग्रीष्मकालीन जड़ी बूटियां :

ग्रीष्मकालीन जड़ी बूटियां जिनको आप घर पर उगा सकते हैं, घर पर इनको कुछ आसान तरीकों से उगाया जा सकता है। यह जड़ी बूटियां और इनको उगाने के तरीके निम्न प्रकार हैं: 

नीम

नीम का पौधा गर्म जलवायु में सबसे अच्छा पनपता है नीम का पेड़ बहुत ही शुष्क होता है। आप घर पर नीम के पौधे को आसानी से गमले में उगा सकते हैं। इसको आपको लगभग 35 डिग्री के तापमान पर उगाना होता है। नीम के पौधे को आप घर पर आसानी से उगा सकते हैं। आपको ज्यादा कुछ करने की जरूरत नहीं होती, नीम के पेड़ से गिरे हुए फल को  आपको अच्छे से धोकर उनके बीच की गुणवत्ता  तथा खाद मिट्टी में मिला कर पौधों को रोपड़ करना होता है। नीम के अंकुरित लगभग 1 से 3 सप्ताह का टाइम ले सकते हैं। बगीचों में बड़े छेद कर युवा नीम के पौधों को रोपण किया जाता है और पेड़ अपनी लंबाई प्राप्त कर ले तो उन छिद्रों को बंद कर दिया जाता है। नीम चर्म रोग, पीलिया, कैंसर आदि जैसे रोगों का निवारण करता है।

तुलसी

तुलसी के पौधे को घर पर उगाने के लिए आपको घर के किसी भी हिस्से या फिर गमले में बीज को मिट्टी में कम से कम 1 से 4 इंच लगभग गहराई में तुलसी के बीज को रोपण करना होता है। घर पर तुलसी के पौधा उगाने के लिए बस आपको अपनी उंगलियों से मिट्टी में इनको छिड़क देना होता है क्योंकि तुलसी के बीज बहुत ही छोटे होते हैं। जब तक बीच पूरी तरह से अंकुरित ना हो जाए आपको मिट्टी में नमी बनाए रखना है। यह लगभग 1 से 2 सप्ताह के बीच उगना शुरू हो जाते हैं। आपको तुलसी के पौधे में ज्यादा पानी नहीं देना है क्योंकि इस वजह से पौधे सड़ सकते हैं तथा उन्हें फंगस भी लग सकते हैं। घर पर तुलसी के पौधा लगाने से पहले आपको 70% मिट्टी तथा 30 प्रतिशत रेत का इस्तेमाल करना होता है। तुलसी की पत्तियां खांसी, सर्दी, जुखाम, लीवर की बीमारी मलेरिया, सास से संबंधित बीमारी, दांत रोग इत्यादि के लिए बहुत ही उपयोगी होती है।

बेल

बेल का पौधा आप आसानी से गमले या फिर किसी जमीन पर उगा सकते हैं। इन बेल के बीजों का रोपण करते समय अच्छी खाद और मिट्टी के साथ पानी की मात्रा को नियमित रूप से देना होता है। बेल के पौधे विभिन्न प्रकार की बीमारियों को दूर करने के काम आते हैं। जैसे: लीवर की चोट, यदि आपको वजन घटाना हो या फिर बहुत जादा दस्त हो, आंतों में विभिन्न प्रकार की गड़बड़ी, कब्ज की समस्या तथा चिकित्सा में बेल की पत्तियों और छालों और जड़ों का प्रयोग कर विभिन्न प्रकार की औषधि का निर्माण किया जाता है। 

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आंवला

घर पर  किसी भी गमले या जमीन पर आप आंवले के पौधे को आसानी से लगा सकते हैं। आंवले के पेड़ के लिए आपको मिट्टी का गहरा और फैलाव दार गमला लेना चाहिए। इससे पौधों को फैलने में अच्छी जगह मिलती है। गमले या फिर घर के किसी भी जमीन के हिस्से में पॉटिंग मिलाकर आंवले के बीजों का रोपण करें। आंवले में विभिन्न प्रकार का औषधि गुण मौजूद होता है आंवले में  विटामिन की मात्रा पाई जाती है। इससे विभिन्न प्रकार के रोगों का निवारण होता है जैसे: खांसी, सांस की समस्या, रक्त पित्त, दमा, छाती रोग, मूत्र निकास रोग, हृदय रोग, क्षय रोग आदि रोगों में आंवला सहायक होता है।

घृत कुमारी

घृतकुमारी  जिसको हम एलोवेरा के नाम से पुकारते हैं। एलोवेरा के पौधे को आप किसी भी गमले या फिर जमीन पर आसानी से उगा सकते हैं। यह बहुत ही तेजी से उगने वाला पौधा है जो घर के किसी भी हिस्से में उग सकता है। एलोवेरा के पौधे आपको ज्यादातर भारत के हर घर में नजर आए होंगे, क्योंकि इसके एक नहीं बल्कि अनेक फायदे हैं। एलोवेरा में मौजूद पोषक तत्व त्वचा के साथ-साथ स्वास्थ्य के लिए भी लाभदायक होते हैं। त्वचा के विभिन्न प्रकार के काले धब्बे दाने, कील मुहांसों आदि समस्याओं से बचने के लिए आप एलोवेरा का उपयोग कर सकते हैं। यह अन्य समस्याओं जैसे  जलन, डैंड्रफ, खरोच, घायल स्थानों, दाद खाज खुजली, सोरायसिस, सेबोरिया, घाव इत्यादि के लिए बहुत सहायक है।

अदरक

अदरक के पौधों को घर पर या फिर गमले में उगाने के लिए आपको सबसे पहले अदरक के प्रकंद का चुनाव करना होता है, प्रकंद के उच्च कोटि को चुने करें। घर पर अदरक के पौधे लगाने के लिए आप बाजार से इनकी बीज भी ले सकते हैं। गमले में 14 से 12 इंच तक मिट्टी को भर ले, तथा खाद और कंपोस्ट दोनों को मिलाएं। गमले में  अदरक के टुकड़े को डाले, गमले का जल निकास नियमित रूप से बनाए रखें। 

अदरक एक ग्रीष्मकालीन पौधा है इसीलिए इसको अच्छे तापमान की बहुत ज्यादा आवश्यकता होती है। यह लगभग 75 से लेकर 85 के तापमान में उगती  है। अदरक भिन्न प्रकार के रोगों का निवारण करता है, सर्दियों के मौसम में खांसी, जुखाम, खराश गले का दर्द आदि से बचने के लिए अदरक का इस्तेमाल किया जाता है। अदरक से बैक्टीरिया नष्ट होते हैं, पुरानी बीमारियों का निवारण करने के लिए अदरक बहुत ही सहायक होती है। 

दोस्तों हम यह उम्मीद करते हैं कि आपको हमारा यह आर्टिकल घर पर उगाने के लिए ग्रीष्मकालीन जड़ी बूटियां पसंद आया होगा। हमारे आर्टिकल में घर पर उगाई जाने वाली  जड़ी बूटियों की पूर्ण जानकारी दी गई है। जो आपके बहुत काम आ सकती है यदि आप हमारी जानकारी से संतुष्ट है। तो हमारी इस आर्टिकल को ज्यादा से ज्यादा अपने दोस्त और सोशल मीडिया पर  शेयर करें। 

धन्यवाद।

इस पौधे के प्रयोग से गंजापन होता है दूर साथ ही चेहरे पर आयेगा नूर

इस पौधे के प्रयोग से गंजापन होता है दूर साथ ही चेहरे पर आयेगा नूर

प्राकृतिक चिकित्सा की विशेषज्ञ प्रीतिका मजूमदार के अनुरूप ग्वारपाठे मतलब एलोवेरा (Aloe vera) अत्यंत फायदेमंद पौधा होता है। जिसमें विभिन्न प्रकार के औषधीय गुण हैं जो लोगों के स्वास्थ्य के लिए काफी लाभप्रद भी होता है। प्रतिदिन इसका निरंतर उपयोग कर बहुत सारे रोगों व बिमारियों से निजात पा सकते हैं। घृत कुमारी या ग्वारपाठा मतलब एलोवेरा एक ऐसा पौधा है, जिसका उपयोग बहुत सारी बिमारियों को दूर करने के साथ-साथ सौंदर्य को बढ़ाने के लिए भी प्रयोग किया जाता है। बाजार में एलोवेरा से निर्मित उत्पाद अपनी विशेष पहचान और स्थान रखते हैं। आज हम इस लेख में जानेंगे, कि कैसे और कौन-सी चीजों में यह अत्यंत लाभकारी होता है।

ग्वारपाठा मतलब एलोवेरा से क्या-क्या लाभ होते हैं

जली त्वचा में लाभकारी

ग्वारपाठे के पत्ते को काटकर इसके अंदर के गूदे को बाहर लेकर के यदि आप त्वचा पर दिन में करीब 23 बार इसका लेप करते हैं, तो आपकी जलन खत्म होकर शीतलता में परिवर्तित हो जाती है।


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स्किन टैनिंग के लिए लाभकारी

ग्वारपाठा स्किन टैनिंग को दूर भगाने में भी अहम भूमिका निभाता है। इसके छिलके को उतारने के उपरांत इसको अच्छी तरह पीसकर जले हुए शारीरिक हिस्से पर लगाने से जख्म ठीक हो जाता है और जलन भी पूरी तरह खत्म हो जाती है।

त्वचा में सौंदर्य और निखार लाए

ग्वारपाठा व एलोवेरा रंग को निखारने में काफी सहायक साबित होता है। अगर आप इसको गुलाब जल में मिश्रित कर के अपनी जांघों पर लगाते हैं, तो इससे आपको पहले से बहुत बदलाव देखने को मिलेगा। इसलिए आपको ग्वारपाठा यानी एलोवेरा का उपयोग विभिन्न प्रकार के सौंदर्य उत्पादों में किया जाता है। क्योंकि यह त्वचा को नमी उपलब्ध कराके उसको काफी निखार देता है।

पिंपल दूर करने में सहायक

एलोवेरा को काटकर उसमें से निकाले गए गूदे में अगर चार भाग में दो भाग शहद में मिश्रण कर पिंपल पर लगाएं। तो, आपको अतिशीघ्र ही इसका अच्छा परिणाम देखने को मिलेगा।

सिर सर्द करे जड़ से खत्म

सिर दर्द होने की स्थिति में ग्वारपाठे के गूदे में गेहूं के आटे में मिश्रण कर उसके उपयोग से 2 रोटी बनाएं। रोटी बनने के बाद उसको अच्छी तरह दबाकर के देशी घी में डालें। उस रोटी का सेवन सूर्योदय से पूर्व करलें। इसका नियमित रूप से 57 दिन तक निरंतर सेवन करेंगे तो आपका कैसा भी सिर दर्द हो बिल्कुल सही हो जाएगा।

गंजे के भी सिर पर बाल उगादे

एलोवेरा गंजापन दूर करने में भी काफी सहायक साबित होता है। आपको लाल रंग के ग्वारपाठे जिसके अंतर्गत नारंगी एवं कुछ लाल रंग के फूल होते हैं। उसके गूदे को स्प्रिट में गलाने के उपरांत सिर पर लेप लगाने से गंजे के सिर पर भी बाल आ जाते हैं। इतना ही नहीं यह बालों को काला करने में भी सहायता करता है।

जख्म पर लगाएं ग्वारपाठा

एलोवेरा कुत्ते द्वारा काटने से हुए जख्म को भरने में काफी अच्छा होता है। ग्वारपाठे को एक तरफ से छीलकर इसके गूदे वाले भाग में पिसे हुए सेंधानमक का छिड़काव करें। उसके बाद इसको कुत्ते द्वारा काटी गयी जगह पर लगाऐं। इसका अच्छा फायदा आपको निरंतर इसके चार बार प्रयोग करने के उपरांत ही मिलेगा।

ग्वारपाठा से पिंपल होंगे दूर

आप एलोवेरा के उपयोग से भी पिंपल की समस्या से राहत पा सकते हैं। ऐसे में आप एलोवेरा को प्रभावित स्थान पर लगाएं। कुछ समय बाद अपनी त्वचा को धो लें।